Shodashi Secrets
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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
Goddess is popularly depicted as sitting down around the petals of lotus which is kept on the horizontal overall body of Lord Shiva.
The Sri Chakra is often a diagram fashioned from 9 triangles that surround and emit out in the central place.
This mantra is definitely an invocation to Tripura Sundari, the deity remaining resolved In this particular mantra. It's a ask for for her to satisfy all auspicious dreams and bestow blessings on the practitioner.
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके Shodashi पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः
The intricate romantic relationship between these teams and their respective roles from the cosmic get is usually a testament to the abundant tapestry of Hindu mythology.
पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥